Friday, June 20, 2008

एक मकसद

कला जगत की इस रेलमपेल में कला जैसे कहीं गुम सी है। सियासत हावी है, जुगाड़ और अखाड़ेबाजी के खिलाड़ी सब-कुछ अपने हिसाब से मोड़ रहे हैं। सब कुछ गड़बड़ है, नौकरी से लेकर इनाम तक, सब जगह खेल। कला के असली पुजारी घर बैठने लगे हैं। सच्चाई से अवगत कराने का मकसद बुराई के खिलाफ अभियान है। इस ब्लॉग में सब नया मिलेगा, सच होगा... पढ़िए और बताइए...बिंदास

No comments: